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पिता

कुछ अनकहे विचार
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पिता

चेहरे पर गंभीरता,
ह्रदय मे कोमलता,
जीवन भर मुश्किल से लड़कर,
बच्चों के सपनों को जो सींचता,
वो पिता है,

बचपन मे गोदी उठता,
सुबह शाम सैर करता,
आपने पीठ का दर्द भुलाकर,
घोडा बन बच्चों का मन बहलाता,
वो पिता है,

उंगली पकड़ चलना सिखाता
हुए बड़े तो साइकल गाड़ी दिलाता,
अपनी हर ख्वाइश दान देकर,
बच्चों की ख्वाइश जो जीता,
वो पिता है,

गलत काम पर दंड देता,
सत्य धर्मं का पाठ पढ़ता,
आपने सारा मान भुलाकर,
बच्चों के लिए जो हाथ जोड़ता,
वो पिता है,

आपने भावों को समेटता,
बन हिम्मत होसला दिलाता,
हंस कर कन्यादान कर,
मन मे पीड़ा लिए जीवन भर जो हँसता,
वो पिता है,

सूरज सा जलता रहता,
रात दिन वो जगता रहता,
आपनी जोड़ी पाई पाई लुटाकर,
बच्चों के सपनो को जो संजोता,
वो पिता है,

जिसके नाम से पहचान मेरी,
मेरी शक्ति मेरी भक्ति
जो मेरा मान अभिमान है,
वो पिता है …
हरे कृष्णा
—————————————————
गौरव

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